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(म.न.112) अगर किसी नाबालिग़ बच्चे के माँ बाप या दादा दादी काफ़िर हों तो वह बच्चा भी नजिस है। लेकिन अगर इनमें से (माँ बाप या दादा दादी में से) एक भी मुसलमान हो तो बच्चा पाक है।

(म.न.113) अगर किसी इंसान के बारे में यह जानकारी न हो कि मुसलमान है या नही और उसके माज़ी में भी मुसलमान या काफ़िर होने के बारे में भी कुछ मालूम न हो तो वह पाक समझा जायेगा। लेकिन उस पर इस्लाम के दूसरे अहकाम जारी नही होंगे, जैसे न वह किसी मुसलमान औरत से शादी कर सकता है और न ही उसे मुसलमानों के क़ब्रिस्तान में दफ़्न किया जा सकता है।

(म.न.114) जो इंसान, बारह इमामों में से किसी एक को भी गाली दे या उनमें से किसी से दुश्मनी रखे, वह नजिस है।

(म.न.115) अहले किताब (यहूदी, ईसाई न मजूसी) पाक हैं।

(म.न. 116) मुरतद नजिस व पाक होने में उस गिरोह के हुक्म में है जिसमें शामिल हुआ है। अगर वह मुशरिकों में शामिल हुआ है तो नजिस है और अगर अहले किताब में शामिल हुआ है तो पाक है।

9- शराब

(म.न.117) शराब और मस्त करने वाली हर वह चीज़, नजिस है जो बहने वाली हों। लेकिन नशा करने वाली सूखी चीज़ें (जैसे भंग, चरस वग़ैरह) पाक हैं चाहे उनमें कोई बहने वाली चीज़ ही क्योँ न मिला दी जाये।

(म.न.118) वह सफेद अलकोहल जो ख़ालिस होता है और तिब्ब(चिकित्सा के क्षेत्र) में इस्तेमाल होता है, पाक है। लेकिन अगर उसको शराब या फ़ुक़्क़ाअ से बनाया गया हो तो नजिस है। इसी तरह वह दूसरी चीज़ें जो अलकोहल से तैयार की जाती हैं और अस्पतालों में सफ़ाई वगैरह में काम आती हैं, पाक हैं। इसी तरह सफ़ेद अलकोहल में कुछ ज़हरीला मवाद डाल कर जो सनअती अलकोहल तैयार किया जाता है वह भी पाक है । अदकूलिन और दूसरे सनती मवाद जिनमें अलकोहल मिला होता है पाक हैं।

 (म.न.119) अगर अंगूर या अंगूर के रस में ख़ुद बखुद या आग पर पकाने की वजह से उबाल आ जाये तो वह पाक है, लेकिन उसका खाना पीना हराम है।

(म.न.120) खजूर, मुनक़्क़ा, किशमिश और उनके शीरे को अगर उबाल भी आ जाये वह तब भी पाक है और उनका खाना पीना भी हलाल है।

10 फ़ुक़्क़ाअ

(म.न.121)  फ़ुक़्क़ाअ, वह चीज़ जो जौ से तैय्यार की जाती है और उसे आबे जौ कहते है नजिस है। लेकिन तिब्बी क़ायदे के मुताबिक़ तैय्यार किया गया आबे जौ, जिसे माउश शईर कहते है, पाक है।

11- निजासत खाने वाले जानवर का पसीना

(म.न.122) निजासत खाने वाले उँट का पसीना नजिस है। लेकिन अगर दूसरे जानवरों को निजासत खाने के आदत हो जाये तो उनके पसीने से बचना लाज़िम नही है।

हराम तरीक़े से जुनुब होने वाले का पसीना

(म.न.123) जो हराम तरीक़े से जुनुब हो (यानी जिसने अपना वीर्यपात हराम तरीक़े से किया हो) उसका पसीना पाक है । लेकिन एहतियाते वाजिब यह है कि बदन पर वह पसीना लगा होने की हालत में और जिन कपड़ों को वह पसीना लगा हो उनके साथ नमाज़ न पढ़े।

 (म.न.124) अगर कोई इंसान अपनी बीवी से उस वक़्त जिमाअ (संभोग) करे जिस वक़्त जिमाअ करना हराम हो (जैसे रमज़ानुल मुबारक के महीने में दिन के वक़्त) तो एहतियाते वाजिब यह है कि उस पसीने की हालत में नमाज़ न पढ़े।

(म.न.125) अगर हराम तरीक़े से जुनुब होने वाला इंसान ग़ुस्ल न कर सके और ग़ुस्ल के के बदले तयम्मुम करे तो एहतियाते वाजिब यह है कि उसे उस पसीने की हालत में नमाज़ नही पढ़नी चाहिए।

(म.न.126) अगर कोई हराम तरीक़े से जुनुब हो और फ़िर उस औरत से जिमा (संभोग) करे जो उसके लिए हलाल हो तो एहतियाते वाजिब यह है कि उस पसीने के साथ नमाज़ न पढ़े और अगर पहले उस औरत से जिमाअ करे जो उसके लिए हलाल हो और फिर बाद में हराम तरीक़े से जुनुब हो तो उस पसीना से बचना लाज़िम नही है।

निजासत साबित होने के तरीक़े

(म.न. 127) किसी चीज़ की निजासत तीन तरीक़ो से साबित होती है।

1) इंसान को ख़ुद यक़ीन हो जाये कि वह चीज़ नजिस है। अगर किसी चीज़ के नजिस होने के बारे में सिर्फ़ गुमान हो तो उस चीज़ से परहेज़ करना लाज़िम नही है। लेकिन अगर इस गुमान की वजह से इस हद तक इत्मिनान हासिल हो जाये कि उसे आम लोग इल्म शुमार करते हों तो इस सूरत में उस चीज़ से परहेज़ ज़रूरी है। लिहाज़ा चाय की दुकानों और होटलों में जहाँ पर लापरवाह किस्म के ऐसे लोग खाते पीते हैं जो निजासत व पाकीज़गी का लिहाज़ नही रखते, उस वक़्त तक खाना खाने और चाय पीने में कोई हरज नही है जब तक इंसान को यह यक़ीन न हो जाये कि जो खाना उसके लिए लाया गया है नजिस है।

2) वह चीज़ जिस के पास हो, वह उस चीज़ के बारे में कहे कि यह नजिस है तो वह चीज़ नजिस है। मसलन अगर किसी इंसान की बीवी या नौकर कहे कि यह चीज़ जो मेरे पास है नजिस है तो वह चीज़ नजिस मानी जायेगी।

3) अगर दो आदिल आदमी किसी चीज़ के बारे में कहें कि यह नजिस है तो वह नजिस मानी जायेगी । लेकिन अगर एक आदिल इंसान किसी चीज़ के नजिस होने के बारे में ख़बर दे तो एहतियात की बिना पर उस चीज़ से परहेज़ करना ज़रूरी है।

(म.न. 128) अगर कोई इंसान मसला न जान ने की बिना पर यह न जान सके कि यह चीज़ नजिस है या पाक, मसलन न जानता हो कि हराम तरीक़े से जुनुब होने वाले का पसीना नजिस है या पाक, तो उसे चाहिए कि मसला मालूम करे। लेकिन अगर मसला जानता हो और किसी चीज़ के बारे में शक करे कि पाक है या नजिस मसलन उसे शक हो यह चीज़ ख़ून है या नही या यह न जानता हो कि यह मच्छर का ख़ून है या इंसान का तो वह पाक है।

(म.न. 129) अगर इंसान किसी नजिस चीज़ के बारे में शक करे कि यह पाक हुई है या नही तो वह चीज़ नजिस है। इसी तरह अगर किसी पाक चीज़ के बारे में शक हो कि यह नजिस हुई है या नही तो वह पाक है। अगर कोई इंसान इन चीज़ों के नजिस या पाक होने के बारे में पता भी लगा सकता हो, तो तब भी छान बीन ज़रूरी नही है।

(म.न. 130) अगर कोई इंसान जानता हो कि यह दो बरतन या दो कपड़े जो उसके इस्तेमाल में है, इन में से एक नजिस हो गया है। लेकिन उसको यह पता न हो कि इनमें से कौनसा नजिस हुआ है तो दोनो से ही परहेज़ ज़रूरी है। और अगर उसके पास दो कपड़े हो एक उसका अपना और एक दूसरे का और उसको यह पता न चले कि उसका अपना कपड़ा नजिस हुआ है या वह कपड़ा जो दूसरे इंसान का है और जिसको वह कभी इस्तेमाल नही करता, तो इस हालत में भी एहतियात यह है कि वह अपने कपड़े से परहेज़ करे।

पाक चीज़ें कैसे नजिस होती है ?

(म.न. 131) अगर कोई पाक चीज़ किसी नजिस चीज़ से लग जाये और यह दोनों या इनमें से एक इस तरह गीली हों कि एक की तरी दूसरी में पहुँच जाये तो पाक चीज़ नजिस हो जायेगी। लेकिन अगर तरी इतनी कम हो कि दूसरी चीज़ में न पहुँच सके तो पाक चीज़ नजिस नही होगी।

(म.न. 132) अगर कोई पाक चीज़ किसी नजिस चीज़ को लग जाये और दोनों या इन में से किसी एक के तर होने के बारे में शक हो, तो पाक चीज़ नजिस नही होगी।

(म.न. 133) ऐसी दो चीज़ें जिनके बारे में इंसान यह न जानता हो कि इनमें से कौनसी पाक है और कौनसी नजिस अगर एक पाक और तर चीज़ उन में से किसी एक को लग जाये तो पाक चीज़ नजिस नही होगी।

(म.न. 134) अगर ज़मीन कपड़ा या ऐसी दूसरी चीज़ें तर हों तो उनके जिस हिस्से को निजासत लगेगी वह नजिस हो जायेगा और बाक़ी हिस्सा पाक रहेगा और यही हुक्म खीरे और खरबूज़े के बारे में है।

(म.न. 135) अगर पिघले हुए शीरे या घी में कोई निजासत गिर जाये तो वह तमाम नजिस हो जायेगा। लेकिन अगर शीरा या घी, तेल जमा हुआ हो और उसमें कोई निजासत गिर जाये तो सिर्फ़ वही हिस्सा नजिस होगा जितने पर निजासत लगी है बाक़ी पाक रहेगा।

(म.न. 136) अगर मक्ख़ी या इस जैसा कोई और पतंगा किसी तर व नजिस चीज़ पर बैठे और फिर वहाँ से उठ कर किसी तर व पाक चीज़पर बैठ जाये तो अगर इंसान जानता हो कि िसके साथ निजासत आई है, तो पाक चीज़ नजिस हो जायेगी और अगर न जानता हो तो नजिस नही होगी।

(म.न.137) अगर बदन के किसी हिस्से पर पसीना लगा हो और वह हिस्सा नजिस हो जाये और फिर पसीना बह कर बदन के दूसरे हिस्सों तक चला जाये तो जहाँ जहाँ यह पसीना पहुँचेगा वह हिस्से नजिस हो जायेंगे। लेकिन अगर पसीना आगे न बहे तो बाक़ी बदन पाक रहेगा।

(म.न. 138) नाक या मुँह से खारिज होने वाले बलग़म में  अगर खून हो तो बलग़म में जहाँ खून होगा वह जगह नजिस और बाक़ी हिस्सा पाक होगा लिहाज़ा अगर यह बलग़म मुँह या नाक के बाहर लग जाये, तो बदन के जिस मक़ाम के बारे में यक़ीन हो कि नजिस बलग़म उस पर लगा है नजिस है, और जिस जगह के बारे में शक हो कि वहाँ बलग़म का निजासत वाला हिस्सा लगा है या नही, तो वह पाक है।

(म.न. 139) अगर एक ऐसा लोटा जिसके पेंदें मे सुराख़ हो नजिस ज़मीन पर रख दिया जाये,तो अगर उसके नीचे इतना पानी जमा हो जाये कि वह अन्दर के पानी से मिल जाये तो लोटे के अन्दर का पानी भी नजिस हो जायेगा लेकिन अगर उसका सुराख़ नजिस ज़मीन से न मिला हो और उसकी तली के नीचे जमा होने वाला पानी अन्दर वाले पानी से न मिला हो तो लोटे के अन्दर का पानी नजिस नही होगा।

(म.न. 140) अगर कोई चीज़ बदन में दाख़िल हो कर निजासत से जा मिले लेकिन बदन से बाहर आने पर निजासत में न सनी हो तो वह चीज़ पाक है। लिहाज़ अगर किसी इंसान के पख़ाने के सुराख़ में अनीमे की नली डाल कर उसके पेट मे पानी पहुँचाया जाये या सूईं, चाकू या कोई और ऐसी ही चीज़ बदन के किसी हिस्से में चुभा कर बाहर निकाली जाये  तो अगर बाहर निकालने पर उस पर निजासत न लगी हो तो वह पाक है। अगर थूक और नाक का पानी जिस्म के अन्दर ख़ून से जा मिले लेकिन बाहर निकलने पर उस में ख़ून न लगा हो तो उसका भी यही हुक्म है।

निजासात के अहकाम

(म.न. 141) क़ुराने करीम के हरफ़ों व वरक़ों को नजिस करना हराम है, और अगर नजिस हो जाये तो उन्हें फ़ौरन पाक करना ज़रूरी है।

(म.न. 142) अगर क़ुरआने मजीद की जिल्द नजिस हो जाये तो उसको पाक करना भी ज़रूरी है।

(म.न.143) क़ुरआने मजीद को किसी ऐने निजासत पर रखना चाहे वह ऐने निजासत खुश्क ही क्यों न हो अगर क़ुरान की बेहुरमती का सबब बनता है तो हराम है और क़ुरआन को उस जगह से उठाना वाजिब है।

(म.न. 144) क़ुरआने मजीद को नजिस रौशनाई से लिखना चाहे वह एक ही हरफ़ क्यों न हो हराम है और अगर लिखा जा चुका है तो उसे धो कर, खुरच कर या किसी और तरीक़े से साफ़ करना ज़रूरी है।

(म.न.145) किसी काफिर को क़ुरआने करीम नही देना चाहिए और अगर किसी काफिर के पास क़ुरआन हो तो जहाँ तक मुमकिन हो उसे उससे वापिस लेने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन अगर काफिर का मक़सद कुरआन पढ़ कर दीन में तहक़ीक़ करना हो और इंसान जानता हो कि काफिर, जो निजासत के हुक्म में है, वह अपना तर हाथ कुरआन को नही लगायेगा तो इस सूरत में कोई हरज नही है।

(म.न. 146) अगर क़ुरआने करीम का वरक़ या कोई ऐसी चीज़ जिसका एहतराम ज़रूरी है जैसे ऐसा काग़ज़ जिस पर अल्लाह ताअला या नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि वसल्लम या किसी इमाम अलैहिस्सलाम का नाम लिखा हो पखाने में गिर जाये तो उसे बाहर निकालना और पाक करना वाजिब है, चाहे इस काम के लिए पैसा ही क्यों न खर्च करना पड़े और अगर उसका बाहर निकालना मुमकिन न हो तो एहतियाते वाजिब यह है कि उस पाख़ाने को उस वक़्त तक बंद रखा जाये जब तक यह यक़ीन न हो जाये कि वह काग़ज़ गल कर ख़त्म हो गया है। इसी तरह अगर किसी पाखाने में ख़ाके शिफ़ा गिर जाये और उसको निकालना मुमकिन न हो तो उस वक़्त तक उस पखाने को इस्तमाल नही करना चाहिए जब तक यह यक़ीन न हो जाये कि वह बिल्कुल ख़त्म हो चुकी है।

(म.न. 147) नजिस चीज़ का खाना, पीना हराम है। इसी तरह बच्चे को कोई नजिस चीज़ किलाना भी हराम है। लेकिन अगर बच्चा ख़ुद ब ख़ुद कोई नजिस ग़िज़ा खाये या अपने नजिस हाथ से ग़िज़ा को नजिस करके खाये तो उसे रोकना ज़रूरी नही है।

(म.न.148) उस नजिस चीज़ को बेचने व अमानतन देने में कोई हरज नही है, जिसके इस्तेमाल करने में उसका पाक होना शर्त न हो और ख़रीदार को उसके नजिस होने के बारे में बताना भी ज़रूरी नही है। लेकिन उस नजिस चीज़ को बेचना या अमानतन देना, जिसके इस्तेमाल के लिए उसका पाक होना शर्त हो, सिर्फ़ इस हालत में सही है कि वह नजिस चीज़ पाक हो सकती हो और खरीदार को उसके नजिस होने के बारे में बताया जाये। ख़रीदार को बताये बिना उस नजिस चीज़ को बेचने या अमानतन देने में कोई हरज नही है जिसके कई इस्तेमाल हों, लेकिन अगर बेचने वाले को मालूम हो कि ख़रीदार उस चीज़ का इस्तेमाल उस काम में करेगा जिसके लिए उस चीज़ का पाक होना ज़रूरी है, तो इस हालत में ख़रीदार को उसके नजिस होने के बारे में बताना ज़रूरी है।  

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